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नई दिल्ली19 मिनट पहले
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कारोबारी हालात में सुधार के कारण रेटेड इशुअर्स का रेवेन्यू बढ़ेगा और उम्मीद है कि कारोबारी साल 2022 के अंत तक उन कंपनियों का रेवेन्यू बढ़कर महामारी से पहले वाले स्तर पर पहुंच जाएगा
- ब्रॉड-बेस्ड डिमांड रिवाइवल और 2020 का लो बेस कारोबारी साल 2022 में भारत की GDP विकास दर को 10.8% पर पहुंचा देगा
- मूडीज ने 2020-21 में GDP में 10.6% गिरावट का अनुमान दिया है, जो गत 4 दशकों में देश की GDP में पहली गिरावट होगी
लॉकडाउन के बाद अब आर्थिक गतिविधियां रफ्तार पकड़ रही हैं और इसके कारण अगले साल भारतीय कंपनियों के लिए कारोबारी हालत बेहतर हो जाएंगे। यह अनुमान मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने बुधवार को जारी किया। रेटेड भारतीय नॉन-फाइनेंशियल कॉरपोरेट्स के लिए अपने 2021 आउटलुक में मूडीज ने कहा कि सभी सेक्टरों में मांग बढ़ने के कारण कंपनियों का रेवेन्यू बढ़ेगा, इसलिए उसने 2021 में भारतीय कॉरपोरेट्स के लिए स्टेबल आउटलुक दिया है।
मूडीज की एनालिस्ट श्वेता पटौदिया ने कहा कि ब्रॉड-बेस्ड डिमांड रिवाइवल और 2020 का लो बेस कारोबारी साल 2022 (31 मार्च 2022 में समाप्त होने वाला वित्त वर्ष) में भारत की GDP विकास दर को 10.8 फीसदी पर पहुंचा देगा। मूडीज ने पहले कहा है कि कारोबारी साल 2021 में भारत की GDP में 10.6 फीसदी गिरावट रह सकती है। यह गत 4 दशकों में देश की GDP में पहली गिरावट होगी।
ज्यादा रेवेन्यू और कैपिटल पर कम खर्च से अगले 12-18 महीनों में कंपनियों को कर्ज घटाने में मदद मिलेगी
पटौदिया ने कहा कि कारोबारी हालात में सुधार के कारण रेटेड इशुअर्स का रेवेन्यू बढ़ेगा और उम्मीद है कि कारोबारी साल 2022 के अंत तक उनका रेवेन्यू महामारी से पहले वाले स्तर पर पहुंच जाएगा। ज्यादा रेवेन्यू और कैपिटल पर कम खर्च से उसके अगले 12 से 18 महीनों में उन कंपनियों को अपना कर्ज घटाने में मदद मिलेगी। मूडीज अभी 5 प्रमुख सेक्टर्स की 21 भारतीय कंपपनियों की रेटिंग करती है। इन सेक्टर्स में ऑयल एंड गैस, टेलीकम्युनिकेशंस, ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स एंड सप्लायर्स, स्टील और माइनिंग शामिल हैं।
ओवरऑल रिकवरी हालांकि स्थायी नहीं होगी
मूडीज ने हालांकि कहा कि ओवरऑल रिकवरी स्थायी नहीं होगी, क्योंकि कोरोनावायरस संक्रमण के नए मामलों में बढ़ोतरी होती रहेगी, चाहे भले ही इसकी रफ्तार धीमी हो। इसलिए नए लॉकडाउन की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। और यदि नया लॉकडाउन लगता है तो उपभोक्ता मांग और रिकवरी पर नकारात्मक प्रभाव प्रड़ेगा।
कम ब्याज दर और कर्ज की व्यापक उपलब्धता से मजबूत कंपनियों को कर्ज लेने और विकास करने में मदद मिलेगी
मूडीज ने कहा कि इस बीच कम ब्याज दर के माहौल और कर्ज की व्यापक उपलब्धता के कारण मजबूत बैलेंसशीट वाली कंपनियों को आसानी से कर्ज लेने और विकास करने में मदद मिलेगी। वित्तीय रूप से कमजोर इशुअर्स के लिए नकदी की समस्या बनी रहेगी, जिससे उनके लिए परिचालन संबंधी चुनौतियां बढ़ती रहेंगी। खास बात यह है कि 2022 तक मैच्योर होने वाले कुल 16 अरब डॉलर के डेट का करीब 39 फीसदी हिस्सा इन वित्तीय रूप से कमजोर और स्पेक्युलेटिव ग्रेड वाले इशुअर्स का है।