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- Auto Industry Will Grow Next Year However The Private Vehicle Segment Will Only Be Able To Achieve FY19 Levels In FY23
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नई दिल्ली15 घंटे पहले
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नोमुरा रिसर्च इंस्टीट्यूट कंसल्टिंग एंड सॉल्यूशंस इंडिया ने कहा कि कोरोनावायरस महामारी के बेहद बुरे असर के बाद उम्मीद है कि 2021-22 में ऑटो इंडस्ट्री में बेहद तेज विकास होगा
- 2-व्हीलर्स के मामले में 2018-19 में दर्ज किया गया लेवल 2023-24 में हासिल होने की उम्मीद
- घरेलू कंपनियों के लिए EV कंपोनेंट और बैटरी के निर्यात का अवसर खुल सकता है
भारतीय ऑटो इंडस्ट्री अगले कारोबारी साल 2021-22 में तेज विकास दर्ज कर सकता है। नोमुरा रिसर्च इंस्टीट्यूट (NRI) कंसल्टिंग एंड सॉल्यूशंस इंडिया ने एक रिपोर्ट में कहा कि इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) सेल्स में (खासकर 2-व्हीलर्स के मामले में) भी बढ़ोतरी दिख सकती है। इस कारोबारी साल में इंडस्ट्री को कोरोनावायरस महामारी के कारण बेहद बुरे दौर से गुजरना पड़ा है।
रिपोर्ट में हलांकि कहा गया है कि निजी वाहन सेगमेंट में 2018-19 का स्तर 2022-23 में हासिल हो पाने की उम्मीद है। सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स (SIAM) के मुताबिक 2018-19 में पैसेंजर व्हीकल की बिक्री 2.7 फीसदी बढ़ोतरी के साथ 33,77,436 यूनिट रही थी, जो 2017-18 में 32,88,581 यूनिट थी। NRI कंसल्टिंग एंड सॉल्यूशंस इंडिया के पार्टनर और ग्रुप हेड (बिजनेस परफॉर्मेंस इंप्रूवमेंट कंसल्टिंग-ऑटो, इंजीनियरिंग एंड लॉजिस्टिक्स) अशीम शर्मा ने कहा कि कोरोनावायरस महामारी के बेहद बुरे असर के बाद उम्मीद है कि 2021-22 में ऑटो इंडस्ट्री में बेहद तेज विकास होगा।
2018-19 में 2-व्हीलर्स की कुल बिक्री 4.86% बढ़कर 2,11,81,390 यूनिट रही थी
पर्सनल व्हीकल के मामले में 2018-19 में दर्ज किया गया लेवल 2022-23 में ही हासिल हो सकता है। जबकि 2-व्हीलर्स के मामले में 2023-24 में यह स्तर हासिल होने की उम्मीद है। नए नियम लागू होने के बाद कीमत बढ़ने की संभावना भी इसका एक कारण है। 2018-19 में 2-व्हीलर्स की कुल बिक्री 4.86 फीसदी बढ़कर 2,11,81,390 यूनिट रही, जो 2017-18 में 2,02,00,117 यूनिट थी।
EV सेगमेंट में 2021-22 में भी विकास की उम्मीद
EV के मामले में शर्मा ने कहा कि 2021-22 में भी सकारात्मक मूवमेंट होने की उम्मीद है, खासतौर से 2-व्हीलर्स EV सेगमेंट में। EV कंपोनेंट के मामले में भारत में सेल लेवल का मैन्यूफैक्चरिंग शुरू हो सकता है। लिथियम टाइटेनियम ऑक्साइड (LTO) जैसी अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी केलिए साझेदारी हो सकती है। LTO बैटरी ऊंचे तापमान पर बेहद तेजी से चार्ज हो सकती है।
मोटर्स और कंट्र्रोलर्स जैसे EV कंपोनेंट में भारतीय कंपनियों की भागीदारी बढ़ सकती है
अन्य EV कंपोनेंट जैसे मोटर्स और कंट्र्रोलर्स के मामले में भारतीय कंपोनेंट कंपनियों की भागीदारी बढ़ सकती है और कुछ नई कंपनियां भी सामने आ सकती हैं। घरेलू कंपनियों के लिए EV कंपोनेंट और बैटरी के लिए निर्यात का अवसर भी खुल सकता है, क्योंकि दुनिया वैकल्पिक स्रोत की तलाश कर रही है।