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नई दिल्ली21 मिनट पहले
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अक्टूबर की समीक्षा में RBI ने महंगाई को कम रखने के लिए मुख्य ब्याज दरों को जस का तस छोड़ दिया था
- विशेषज्ञों का अनुमान है कि ऊंची महंगाई दर के कारण मुख्य ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा
- सरकार ने RBI को खुदरा महंगाई दर न्यूनतम 2% और अधिकतम 6% के बीच बनाए रखने की जिम्मेदारी दी है
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की दोमाही बैठक बुधवार को शुरू हो गई। बैठक तीन दिनों तक चलेगी। मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा शुक्रवार 4 दिसंबर को होगी। विशेषज्ञों का अनुमान है कि ऊंची महंगाई दर के कारण मुख्य ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
अक्टूबर में हुई पिछली समीक्षा में RBI ने महंगाई को कम रखने के लिए मुख्य ब्याज दरों को जस का तस छोड़ दिया था। खुदरा महंगाई की दर कुछ समय से 6 फीसदी से ऊपर चल रही है। जबकि सरकार ने RBI को जिम्मेदारी दी है कि वह खुदरा महंगाई दर को न्यूनतम 2 फीसदी और अधिकतम 6 फीसदी के बीच बनाए रखे।
RBI के मौजूदा रेट
पॉलिसी रेट्स
पॉलिसी रेट | रेट (%) |
रेपो दर | 4 |
रिवर्स रेपो रेट | 3.35 |
मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट | 4.25 |
बैंक रेट |
4.25 |
रिजर्व रेश्यो
रिजर्व रेश्यो | रेश्यो (%) |
कैश रिजर्व रेश्यो | 3 |
SLR |
18 |
फरवरी के बाद से रेपो दर में कुल 1.15% कटौती
RBI ने इस कारोबारी साल में महामारी के कारण देश की GDP में 9.5 फीसदी गिरावट का अनुमान रखा है। इसने फरवरी के बाद से रेपो दर में कुल 1.15 फीसदी की कटौती की है।
RBI मौद्रिक नीति के रुख को भी नरम रख सकता है
यस सिक्युरिटीज के सीनियर प्रेसिडेंट एवं इंस्टीट्यूशनल रिसर्च हेड अमर अंबानी ने कहा कि आर्थिक गतिविधियों में रिकवरी और ऊंची खुदरा महंगाई दर के कारण इस समीक्षा में RBI मुख्य ब्याज दरों को जस का तस छोड़ सकता है। केयर रेटिंग्स के चीफ इकॉनोमिस्ट मदन सबनवीस ने भी कहा कि RBI पॉलिसी रेट को 4 फीसदी पर बरकरार रख सकता है और नरम रुख को कायम रख सकता है। ब्रिकवर्क रेटिंग्स (BWR) ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ऊंची महंगाई के कारण RBI इस समीक्षा में रेपो रेट को 4 फीसदी पर कायम रख सकती है और मौद्रिक नीति के रुख को नरम बनाए रख सकती है।
लगातार 9वें महीने बढ़ी है खुदरा महंगाई दर
खुदरा महंगाई दर अक्टूबर में 7.61 फीसदी रही। लगातार नौवें महीने खुदरा महंगाई दर बढ़ी है। अक्टूबर की दर मई 2014 के बाद ऊपरी स्तर पर है, जब यह दर 8.33 फीसदी थी।