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नई दिल्लीएक मिनट पहले
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दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर चल रहे प्रदर्शन में बच्चे भी जोश के साथ शामिल हैं।
कृषि कानूनों के खिलाफ किसान 12 दिन से विरोध कर रहे हैं। सभी के मन में एक जैसा गुस्सा है, लेकिन उसे जाहिर करने का तरीका सबका अलग-अलग है।
सोमवार को कई जगह किसानों ने अपना विरोध जताया। यूपी के नोएडा में किसानों ने भैंस के आगे बीन बजाई तो दिल्ली बॉर्डर पर एक टॉवर पर PM मोदी का पुतला टांग दिया गया। पंजाब के जालंधर में लड़कियों ने मार्च निकालकर किसान आंदोलन का समर्थन किया। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) ने किसानों के लिए अमृतसर में अकाल तख्त पर अरदास की।
#WATCH | नोएडा: कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए एक व्यक्ति ने भैंस के आगे बीन बजाई। #FarmersProtest pic.twitter.com/h8PdluagHj
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 7, 2020
‘ताकि PM हमारा संघर्ष देख सकें’
अमृतसर से सिंघु बॉर्डर पहुंचे प्रदर्शनकारी अमरिंदर गिल ने एक टॉवर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला लटका दिया। उनका कहना है कि इतने बुजुर्ग ठंड में बैठकर अपनी आवाज सुनाना चाहते हैं। PM को इतने दिनों से हमारा प्रदर्शन नजर नहीं आ रहा था। अब उनका पुतला टांग दिया है, ताकि वे देख सकें कि किसान किस तरह संघर्ष कर रहे हैं। यहां भाजपा सांसद हंस राज हंस का पुतला भी टांगा गया है।

प्रदर्शनकारी अमरिंदर गिल ने एक टॉवर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला लटका दिया।

सिंघु बॉर्डर पर कई तरह के मैसेज लिखी टीशर्ट पहने नौजवान।
सिंघु बॉर्डर पर ही कुछ युवक विरोध करते दिखाई दिए। उन्होंने अपनी टीशर्ट पर लिख रखा था कि हम किसान हैं आतंकवादी नहीं।
जालंधर में लड़कियों ने निकाला मार्च

किसानों के समर्थन में मार्च निकालती लायलपुर खालसा वूमेन कॉलेज की छात्राएं।
जालंधर के लायलपुर खालसा वूमेन कॉलेज की छात्राओं ने किसानों के समर्थन में एक मार्च निकाला। उन्होंने हाथ में तख्तियां लेकर कृषि कानूनों का विरोध किया।
सिंघु बॉर्डर पर 400 से ज्यादा लोगों की तबीयत खराब
सिंघु बॉर्डर पर अब तक 400 से ज्यादा किसानों की तबीयत खराब हुई है। उन्हें बुखार, खांसी, शुगर, बीपी, सिर दर्द की शिकायत है। यहां अमृतसर की शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने तीन एम्बुलेंस लगाई हैं। इनमें डॉक्टर और दूसरा स्टाफ मौजूद है। एक एम्बुलेंस सिंघु बॉर्डर से दो किलोमीटर दूर लगाई गई है। यह दवाई लाने का काम करती है।
अब तक इनके जरिए करीब 1000 किसानों का इलाज किया जा चुका है। हालांकि, डॉक्टरों का कहना है कि इन सभी की मामूली तबीयत खराब थी। किसी में कोरोना के लक्षण नहीं थे।
बॉर्डर पर लगीं दुकानें
किसानों के आंदोलन के कारण बॉर्डर पर कारोबार भी फल-फूल रहा है। यहां कई दुकानें लग गई हैं। दिल्ली के फुरकान सात साल से घर में फैक्ट्री लगाकर नेहरू कट जैकेट बना रहे हैं। वे पंजाब के जालंधर में इन्हें बेचते हैं। कोरोना की वजह से इस बार जालंधर नहीं जा पाए। अब सिंघु बॉर्डर पर फुरकान ने अस्थायी दुकान लगा ली है। वे तीन दिन से यहां आ रहे हैं। यहां और भी दुकानें लगी हैं। इनमें ग्लव्स, मास्क और सर्दियों के आइटम बेचे जा रहे हैं।