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- Volunteer Dies 9 Days After Taking Trial Dose Of Covaxin; India Biotech Said Not Because Of Vaccine
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नई दिल्ली4 दिन पहले
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भोपाल के दीपक मरावी ने 12 दिसंबर को कोवैक्सिन का ट्रायल डोज दिया था। इसके बाद 21 दिसंबर को उनकी मौत हो गई थी। -फाइल फोटो।
भारत बायोटेक की कोवैक्सिन का विवादों से पीछा नहीं छूट रहा है। भोपाल में कोवैक्सिन के ट्रायल में शामिल एक 47 साल के वॉलंटियर की संदिग्ध मौत की खबर सामने आई है। वॉलंटियर दीपक मरावी 12 दिसंबर को कोवैक्सिन के ट्रायल में शामिल हुआ था। वैक्सीन का डोज लेने के 9वें दिन बाद यानी 21 दिसंबर को उनकी संदिग्ध मौत हो गई थी।
22 दिसंबर को शव का पोस्टमार्टम हुआ तो उसके शरीर में जहर मिलने की पुष्टि हुई। शुक्रवार को यह खबर मीडिया में आई तो हड़कंप मच गया। वैक्सीन पर सवाल खड़े होने पर शनिवार को भारत बायोटेक ने सफाई दी है। कंपनी ने कहा कि वालंटियर को वैक्सीन ट्रायल की सभी नियम और शर्तों के बारे में सारी जानकारी दी गई थी। वैक्सीन देने के अगले 7 दिनों तक उसका हालचाल भी लिया गया था।
कंपनी ने और क्या सफाई दी ?
- एनरोलमेंट के समय वॉलंटियर ने फेज-3 ट्रायल के सभी मानकों को पूरा किया था।
- डोज देने के 7 दिन बाद तक वॉलंटियर की लगातार निगरानी हुई। इसमें वह पूरी तरह स्वस्थ पाया गया था।
- वॉलंटियर पर किसी तरह का कोई साइड इफेक्ट देखने को नहीं मिला था।
- भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक मौत का कारण कार्डियॉरेस्पिरेट्री फेलियर हो सकता है। ये शरीर में जहर के चलते हुआ हो सकता है।

मृतक दीपक मरावी (फाइल फोटो)
इमरजेंसी यूज की मंजूरी मिलने के बाद से विवाद
कोवैक्सिन को भारत बायोटेक और ICMR ने मिलकर तैयार किया है। इसे देश में इमरजेंसी यूज के लिए मंजूरी भी मिल चुकी है। इसके बाद से ही इस पर विवाद शुरू हो गया था। कांग्रेस ने सरकार पर कोवैक्सिन को जल्दबाजी में मंजूरी देने का आरोप लगाया था। कहा था कि अभी कंपनी ने तीसरे फेज का ट्रायल पूरा नहीं किया है। ऐसे में इसका यूज खतरे से खाली नहीं है। सरकार ने इस पर कहा था कि ट्रायल की रिपोर्ट के आधार पर ही इसे मंजूरी दी गई है। इसमें सभी मानकों का पालन हुआ है। गुरुवार 7 जनवरी को भारत बायोटेक ने तीसरे फेज के ट्रायल के पूरे होने की सूचना दी। इसमें 26 हजार लोग शामिल हुए हैं।
बेचैनी के साथ उल्टियां शुरू हो गई
मृतक दीपक के बेटे आकाश मरावी ने हलचल टुडे को बताया कि 12 दिसंबर को वैक्सीन लगने के बाद 19 दिसंबर को उनके पिता की तबियत बिगड़ गई थी। उन्हें अचानक घबराहट, बेचैनी, जी मिचलाने के साथ उल्टियां होने लगीं। लेकिन, उन्होंने इसे सामान्य बीमारी समझकर उसका इलाज नहीं कराया।
दीपक के मुताबिक, डोज लगवाने के बाद से पिता ने मजदूरी पर जाना बंद कर दिया था, वे कोरोना प्रोटोकॉल का पालन कर रहे थे। 21 दिसंबर को जब उनका निधन हुआ, तब वे घर में अकेले थे। मां काम से बाहर गई थी और छोटा भाई बाहर खेल रहा था। मौत की सूचना उसी दिन पीपुल्स कॉलेज को भेज दी थी। अगले दिन सुभाष नगर विश्राम घाट पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया था।